कोने होंगे टाटा ग्रुप के नए उत्तराधिकारी?
दो दिन पहले ही रतन टाटा ने अपनी सेहत को लेकर चल रही अटकलों को खारिज किया था। सोमवार को खबरें आईं कि टाटा को ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।टाटा ने कहा था कि वह अपनी उम्र से जुड़ी समस्याओं के इलाज के लिए अस्पताल गए थे। उन्होंने लोगों से कहा था कि चिंता की कोई बात नहीं है। टाटा ने एक बयान में कहा था, ‘मैं अपनी उम्र और उससे जुड़ी बीमारियों के कारण नियमित रूप से मेडिकल चेकअप करवा रहा हूं। चिंता करने जैसी कोई बात नही है| में हमेसा मनोबल को ऊचा रखता हु| में आप और समाचार माध्यम को किसी तरह की अफवाह न फैलानी करता हु|
रिपोर्ट्स के मुताबिक, रतन टाटा की तबीयत तीन दिन पहले तक बिल्कुल सामान्य थी और वे आराम से अपना दैनिक काम कर रहे थे। वे अपने दफ़्तर में मीटिंग भी अटेंड कर रहे थे। अभी दो दिन पहले ही उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल लाया गया था, जिसके बाद उनके आधिकारिक ट्विटर हैंडल से पोस्ट किया गया कि उन्हें सामान्य हेल्थ चेक अप लिए हॉस्पिटल ले जा रहे है |
सीएम योगी ने रतन टाटा के निधन पर दुख जताया है।
उन्होंने लिखा है कि भारत के सुप्रसिद्ध उद्योगपति श्री रतन टाटा (पद्म विभूषण) का निधन अत्यंत दुःखद है।वे भारतीय बिज़नेस जगत के टॉप व्यकित थे। ये डेथ बिज़नेस जगत के लिए नुकसान है। रतन टाटा पूरी जिंदगी भारत देश के उद्योग और आम जनता विकास के लिए समर्पित थे| वे देश के सच्चे रत्न थे। मैं प्रभु श्री राम से प्रार्थना करता हूँ कि दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें तथा उनके शोकाकुल परिजनों एवं प्रशंसकों को इस दुख को सहने की शक्ति प्रदान करें।
दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा ने 86 साल की उम्र में अंतिम सांस ली।
उनका निधन मुंबई के एक अस्पताल में हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टाटा के निधन पर शोक जताया। उन्होंने टाटा को दूरदर्शी सोच वाला व्यक्ति बताया और अपनी संवेदनाएं व्यक्त करते हुए उन्हें असाधारण इंसान बताया। राष्ट्र निर्माण में उल्लेखनीय योगदान के लिए रतन टाटा को वर्ष 2008 में देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान- पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। रतन टाटा के निधन से पूरा देश शोक में है।रतन टाटा जैसी महान शख्सियत को खोना देश के लिए बहुत दुर्भाग्यपूर्ण दिन है। उनका नाम न केवल एक अच्छे व्यवसायी के रूप में याद किया जाता है बल्कि उन्हें एक महान समाजसेवी के रूप में भी जाना जाता है। रतन टाटा की मृत्यु के बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि उनकी करीब 3800 करोड़ रुपये की संपत्ति का वारिस कौन होगा। आपको बता दें कि रतन टाटा ने शादी नहीं की और न ही उनके अपने कोई बच्चे हैं। लेकिन उनके पिता की दूसरी शादी से एक बेटा है।
जमशेदपुर में लोगों को जैसे ही रतन टाटा के निधन की खबर मिली, वे सड़कों पर उतर आए और उन्हें श्रद्धांजलि देने टाटा स्टील प्लांट के गेट पर पहुंच गए. अभी कंपनी का परिसर बंद है. नवरात्रि में लोग रोशनी देखने के लिए बाहर निकले थे, लेकिन रतन टाटा की मौत ने उन्हें झकझोर कर रख दिया. शहर के पूजा पंडालों में पूरी तरह सन्नाटा पसरा रहा. पूजा समिति के लोगों ने अपने-अपने पंडालों में संगीत, भजन, स्पीकर पूरी तरह बंद कर दिए और रतन टाटा के लिए दो मिनट का मौन भी रखा.
नोएल टाटा कौन है?
रतन टाटा की मौत के बाद जिस व्यक्ति को उनके उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जा रहा है, वो हैं नोएल टाटा। नोएल टाटा के तीन बच्चे हैं, दो बेटियां और एक बेटा, जबकि दूसरे बेटे का नाम नेविल टाटा है। अभी तक रतन टाटा की कोई वसीयत सामने नहीं आई है। ऐसे में उनके पारिवारिक रिश्तेदार होने के नाते नोएल टाटा को उनका उत्तराधिकारी माना जा रहा है। रतन टाटा के पास बेशुमार दौलत थी, फिर भी उनकी जीवनशैली काफी साधारण रही है।
टाटा की पहल ने छोड़ा गहरा असर, आने वाली पीढ़ियों को होगा फायदा
टाटा संस के चंद्रशेखरन ने रतन टाटा के परोपकार और देश के ग्रोथ के प्रति भाव ने करोडो व्यकित के लाइफ को असर किया है। साक्षरता से लेकर स्वास्थ्य सेवा तक, इनके योगदान ने लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया है।, उनकी पहल ने एक गहरी छाप छोड़ी है जिसका लाभ आने वाली पीढ़ियों को मिलेगा। टाटा के साथ हर व्यक्तिगत बातचीत सभी कार्यों को मजबूत करने में उनकी वास्तविक विनम्रता का उदाहरण है। टाटा संस के चेयरमैन चंद्रशेखरन ने कहा, ‘पूरे टाटा परिवार की ओर से, मैं उनके प्रियजनों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं।उनकी विरासत हमें प्रेरित करती रहेगी, क्योंकि हम उन सिद्धांतों को कायम रखने का प्रयास करते रहेंगे जिनका उन्होंने इतने जुनून के साथ समर्थन किया।
हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में अध्ययन किया
रतन टाटा ने पढ़ाई बॉम्बे से की। जिसके बाद आगे शिक्षा के लिए वे कॉर्नेल यूनिवर्सिटी एड्मिसन लिया , वहा इन्होने आर्किटेक्चर बीएस किया। रतन टाटा पहलीबार 1961-62 में टाटा ग्रुप समूह में शामिल हुए। इसके बाद उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस मैनेजमेंट प्रोग्राम से मैनेजमेंट की पढ़ाई की। 1991 में वे टाटा समूह के चेयरमैन बने। वे वर्ष 2012 में सेवानिवृत्त हुए। भारत में पहली पूर्ण रूप से निर्मित कार का उत्पादन शुरू करने का श्रेय भी उन्हें ही जाता है। पूरी तरह से स्वदेश में निर्मित इस पहली कार का नाम टाटा इंडिका था। दुनिया की सबसे सस्ती कार टाटा नैनो बनाने की उपलब्धि भी उनके नाम है। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने लैंड रोवर और जगुआर का अधिग्रहण कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तहलका मचा दिया था
कई बड़ी विदेशी कंपनियों का अधिग्रहण
रतन टाटा का ग्रुप में सामेल होने से कई तरह के बदलाव किया और ग्रुप को एक वैश्विक पहचान दी | इन्होने कई बड़ी इंटरनेशनल कंपनि का ग्रुप में शामिल किया, जिनमें टेटली, जगुआर कार लैंड रोवर और कोरस स्टील जैसी कंपनियां शामिल हैं। उनके नेतृत्व में टाटा समूह दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक बन गया।रतन टाटा अपने सामाजिक कार्यों के लिए भी जाने जाते थे। जो स्वास्थ्य, शिक्षा और गरीबी उन्मूलन जैसे क्षेत्रों में काम करता है। रतन टाटा को उनके योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा “पद्म विभूषण” से सम्मानित किया गया था।
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